स्नान-दान की वैशाख अमावस्या 8 मई को मनेगी। इस दिन शुभ योग रहेंगे। जिससे इस त्योहार की शुभता और बढ़ जाएगी। इसी दिन शनिदेव के साथ ही शिवजी और पितरों की पूजा की जाएगी। वैशाख अमावस्या पर जरुरतमंद लोगों को दान देने की परंपरा भी है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक इस बार वैशाख अमावस्या पर सौभाग्य और सर्वार्थसिद्धि नाम के शुभ योग बन रहे हैं। सूर्य और शनि खुद की राशियों में रहेंगे। सितारों की इस शुभ स्थिति में इस पर्व पर किए गए शुभ कामों का फल और भी बढ़ जाएगा। 8 मई को स्नान-दान की वैशाख अमावस्या
8 मई का सूर्योदय अमावस्या तिथि में होगा। ये तिथि सुबह तकरीबन 9 बजे तक रहेगी, इसलिए इस पर्व में सुबह तीर्थ और पवित्र नदियों में स्नान-दान किया जाएगा। इस दिन किए गए स्नान-दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है। इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी रहेगा, लेकिन भारत में नहीं दिखने से इसका धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा। वैशाख की अमावस्या पर भगवान भोलेनाथ के साथ ही श्राद्ध और पितृ पूजा करने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए इस दिन पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए। साथ ही सूर्यदेव को जल अर्पण करके तुलसी पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए। वैशाख अमावस्या पर पीपल पूजा करने का विधान
वैशाख महीने की अमावस्या पर पीपल की पूजा का खास महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगाजल, कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल को चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पितृ भी तृप्त हो जाते हैं।
8 मई का सूर्योदय अमावस्या तिथि में होगा। ये तिथि सुबह तकरीबन 9 बजे तक रहेगी, इसलिए इस पर्व में सुबह तीर्थ और पवित्र नदियों में स्नान-दान किया जाएगा। इस दिन किए गए स्नान-दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है। इसी दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी रहेगा, लेकिन भारत में नहीं दिखने से इसका धार्मिक महत्व भी नहीं रहेगा। वैशाख की अमावस्या पर भगवान भोलेनाथ के साथ ही श्राद्ध और पितृ पूजा करने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। जाने-अनजाने में जो गलती हो, उसके लिए इस दिन पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए। साथ ही सूर्यदेव को जल अर्पण करके तुलसी पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए। वैशाख अमावस्या पर पीपल पूजा करने का विधान
वैशाख महीने की अमावस्या पर पीपल की पूजा का खास महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में गंगाजल, कच्चा दूध और तिल मिलाकर पीपल को चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और पितृ भी तृप्त हो जाते हैं।