पतंजलि, बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने बुधवार (24 अप्रैल) को अखबारों में एक और माफीनामा छपवाया। इसमें बिना शर्त कोर्ट से माफी मांगी गई है। पतंजलि पर अखबारों में विज्ञापन देकर एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार करने का आरोप है। मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। पतंजलि ने बुधवार को छपवाए माफीनामे में लिखा- हमसे विज्ञापनों को प्रकाशित करने में हुई गलती के लिए ईमानदारी से बिना शर्त माफी मांगते हैं। ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। हम सावधानी के साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं। इससे पहले 22 अप्रैल को भी पतंजलि ने 67 अखबारों में माफीनामा छपवाया था और भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराने की बात कही थी। पतंजलि ने 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच को इसकी जानकारी दी थी। जस्टिस हिमा कोहली ने पतंजलि से पूछा था- आपके विज्ञापन जैसे रहते थे, इस माफीनामे का भी साइज वही था? कृपया इन विज्ञापनों की कटिंग ले लें और हमें भेज दें। इन्हें बड़ा करने की जरूरत नहीं है। हम इसका वास्तविक साइज देखना चाहते हैं। जस्टिस कोहली ने कहा था- जब आप कोई विज्ञापन प्रकाशित करते हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे माइक्रोस्कोप से देखेंगे। सिर्फ पन्ने पर न हो, पढ़ा भी जाना चाहिए। पतंजलि, बाबा रामदेव और बालकृष्ण अगले दो दिन में ऑन रिकॉर्ड माफीनामा जारी करें, जिसमें लिखा हो कि उन्होंने गलती की। मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी। पतंजलि के दूसरे माफीनामे की कॉपी पतंजलि ने 2 और 9 अप्रैल को भी माफी मांगी, कोर्ट ने कहा- ये सिर्फ खानापूर्ति है
बाबा रामदेव की तरफ से 2 अप्रैल को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच में माफीनामा दिया गया था। बेंच ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए कहा था कि ये माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है। आपके अंदर माफी का भाव नहीं दिख रहा। इसके बाद कोर्ट ने 10 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की थी। 10 अप्रैल की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले (9 अप्रैल को) बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने नया एफिडेविट फाइल किया। इसमें पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और ऐसा दोबारा नहीं होगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के खिलाफ याचिका लगाई है
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। कोर्ट ने FMCG कंपनियों और डॉक्टरों पर भी सवाए उठाए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ड्रग एंड मैजिक रेमिडी एक्ट को लागू करने पर बारीकी से विचार किये जाने की जरूरत है। यह मामला सिर्फ बाबा रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि तक ही सीमित नहीं है। बल्कि सभी FMCG कंपनियों तक फैला हुआ है। इनके भ्रामक विज्ञापन से जनता भ्रमित होती है। खासकर शिशु, स्कूली बच्चे प्रभावित होते हैं। बुजुर्ग इन भ्रमित विज्ञापनों को देखकर दवाइयां लेते हैं। जनता को धोखे में नहीं रहने दिया जा सकता। कोर्ट ने FMCG कंपनियों के विज्ञापन पर तीन केंद्रीय मंत्रालयों से किया सवाल IMA अपना घर संभाले, आपके डॉक्टर भी अनावश्यक महंगी दवाएं लिख रहे केस की अलग-अलग सुनवाई में क्या हुआ, सिलसिलेवार पढ़ें… 16 अप्रैल: पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में फिर माफी मांगी, बाबा रामदेव बोले- काम के उत्साह में ऐसा हो गया 10 अप्रैल: रामदेव-बालकृष्ण का माफीनामा खारिज, कोर्ट ने कहा- जानबूझकर आदेश की अवमानना की 02 अप्रैल: रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी, अदालत ने कहा- सरकार ने आंखें क्यों मूंदे रखीं 19 मार्च: पतंजलि विज्ञापन केस में सुप्रीम कोर्ट बोला- रामदेव हाजिर हों,अवमानना का केस क्यों न लगे 27 फरवरी: पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट का कंटेंप्ट नोटिस, बीमारी ठीक करने का दावा करने वाले विज्ञापनों पर रोक
बाबा रामदेव की तरफ से 2 अप्रैल को जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की बेंच में माफीनामा दिया गया था। बेंच ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए कहा था कि ये माफीनामा सिर्फ खानापूर्ति के लिए है। आपके अंदर माफी का भाव नहीं दिख रहा। इसके बाद कोर्ट ने 10 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की थी। 10 अप्रैल की सुनवाई से ठीक एक दिन पहले (9 अप्रैल को) बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने नया एफिडेविट फाइल किया। इसमें पतंजलि ने बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और ऐसा दोबारा नहीं होगा। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के खिलाफ याचिका लगाई है
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। कोर्ट ने FMCG कंपनियों और डॉक्टरों पर भी सवाए उठाए
सुप्रीम कोर्ट ने कहा ड्रग एंड मैजिक रेमिडी एक्ट को लागू करने पर बारीकी से विचार किये जाने की जरूरत है। यह मामला सिर्फ बाबा रामदेव, बालकृष्ण और पतंजलि तक ही सीमित नहीं है। बल्कि सभी FMCG कंपनियों तक फैला हुआ है। इनके भ्रामक विज्ञापन से जनता भ्रमित होती है। खासकर शिशु, स्कूली बच्चे प्रभावित होते हैं। बुजुर्ग इन भ्रमित विज्ञापनों को देखकर दवाइयां लेते हैं। जनता को धोखे में नहीं रहने दिया जा सकता। कोर्ट ने FMCG कंपनियों के विज्ञापन पर तीन केंद्रीय मंत्रालयों से किया सवाल IMA अपना घर संभाले, आपके डॉक्टर भी अनावश्यक महंगी दवाएं लिख रहे केस की अलग-अलग सुनवाई में क्या हुआ, सिलसिलेवार पढ़ें… 16 अप्रैल: पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट में फिर माफी मांगी, बाबा रामदेव बोले- काम के उत्साह में ऐसा हो गया 10 अप्रैल: रामदेव-बालकृष्ण का माफीनामा खारिज, कोर्ट ने कहा- जानबूझकर आदेश की अवमानना की 02 अप्रैल: रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी, अदालत ने कहा- सरकार ने आंखें क्यों मूंदे रखीं 19 मार्च: पतंजलि विज्ञापन केस में सुप्रीम कोर्ट बोला- रामदेव हाजिर हों,अवमानना का केस क्यों न लगे 27 फरवरी: पतंजलि को सुप्रीम कोर्ट का कंटेंप्ट नोटिस, बीमारी ठीक करने का दावा करने वाले विज्ञापनों पर रोक