19 अप्रैल, शुक्रवार को कामदा एकादशी व्रत किया जाएगा। ये नए संवत्सर की पहली एकादशी होती है। मान्यता है इस एकादशी का व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती है, इसलिए इसे कामदा नाम दिया गया है। पंडितों का कहना है कि कामदा एकादशी का व्रत जिस कामना से किया जाता है। वो पूरी होती है और पारिवारिक समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं। नारद और विष्णु पुराण के मुताबिक, कामदा एकादशी व्रत के पुण्य से पाप खत्म हो जाते हैं। ये एकादशी परेशानियों से छुटकारा देने वाली होती है। इस व्रत के प्रभाव से मनोकामनाएं भी पूरी होती है। इसी कारण इसे फलदा एकादशी भी कहा जाता है। इस एकादशी की कथा और महत्व के बारे में सबसे पहले वशिष्ठ मुनि ने सूर्यवंंश के राजा दिलीप को बताया था। इसके बाद द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कामदा एकादशी के बारे में बताया था। पूजा विधि: भगवान का अभिषेक करें, कमल या गुलाब के फूल चढ़ाएं 1. व्रत के एक दिन पहले एक बार खाना खाकर भगवान विष्णु का ध्यान किया जाता है।
2. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले नहाएं।
3. उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं फिर पूजा स्थान या मंदिर में जाकर व्रत का संकल्प लें।
4. व्रत का संकल्प लेने के बाद तुलसी और पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर दीपक लगाएं।
5. भगवान विष्णु की पूजा करें। शुद्ध जल और पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
6. मौली, यज्ञोपवित, चंदन, अक्षत, अबीर, गुलाल, हल्दी, फूल और तुलसी पत्र चढ़ाएं।
7. कमल, गुलाब, पारिजात या वैजयंती के फूलों से पूजा करें
8. भगवान को धूप-दीप दर्शन करवाएं और कथा सुनें।
9. मिठाई, फल का नैवेद्य लगाएं और भगवान की आरती करें। एक दिन पहले ही यानी दशमी से ही शुरू हो जाती है व्रत की तैयारी
कामदा एकादशी व्रत के एक दिन पहले से ही यानी दशमी की दोपहर में जौ, गेहूं और मूंग आदि का एक बार भोजन करके भगवान की पूजा की जाती है। दूसरे दिन यानी एकादशी को सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत और दान का संकल्प लिया जाता है। पूजा करने के बाद कथा सुनकर श्रद्धा अनुसार दान किया जाता है। इस व्रत में नमक नहीं खाया जाता है। सात्विक दिनचर्या के साथ नियमों का पालन कर के व्रत पूरा किया जाता है। इसके बाद रात में भजन कीर्तन के साथ जागरण किया जाता है।
2. एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय से पहले नहाएं।
3. उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं फिर पूजा स्थान या मंदिर में जाकर व्रत का संकल्प लें।
4. व्रत का संकल्प लेने के बाद तुलसी और पीपल के पेड़ में जल चढ़ाकर दीपक लगाएं।
5. भगवान विष्णु की पूजा करें। शुद्ध जल और पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
6. मौली, यज्ञोपवित, चंदन, अक्षत, अबीर, गुलाल, हल्दी, फूल और तुलसी पत्र चढ़ाएं।
7. कमल, गुलाब, पारिजात या वैजयंती के फूलों से पूजा करें
8. भगवान को धूप-दीप दर्शन करवाएं और कथा सुनें।
9. मिठाई, फल का नैवेद्य लगाएं और भगवान की आरती करें। एक दिन पहले ही यानी दशमी से ही शुरू हो जाती है व्रत की तैयारी
कामदा एकादशी व्रत के एक दिन पहले से ही यानी दशमी की दोपहर में जौ, गेहूं और मूंग आदि का एक बार भोजन करके भगवान की पूजा की जाती है। दूसरे दिन यानी एकादशी को सुबह जल्दी उठकर नहाने के बाद व्रत और दान का संकल्प लिया जाता है। पूजा करने के बाद कथा सुनकर श्रद्धा अनुसार दान किया जाता है। इस व्रत में नमक नहीं खाया जाता है। सात्विक दिनचर्या के साथ नियमों का पालन कर के व्रत पूरा किया जाता है। इसके बाद रात में भजन कीर्तन के साथ जागरण किया जाता है।