आज नवरात्रि का आखिरी दिन होने से देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। शास्त्रों के मुताबिक महादेव ने भी देवी सिद्धिदात्री की कठिन तपस्या कर सभी आठ सिद्धियां पाई थीं। देवी की कृपा से ही महादेव का आधा शरीर देवी का हो गया था और वो अर्धनारीश्वर कहलाए। ग्रंथों के मुताबिक अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व नाम की आठ सिद्धियां होती हैं। ये सभी देवी सिद्धिदात्री की आराधना से मिल सकती है। देवी सिद्धिदात्री का रूप
देवी सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान होती हैं, हालांकि इनका वाहन सिंह भी है। देवी सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है। देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि
1. देवी सिद्धिदात्री का ध्यान कर कलश पर अक्षत चढ़ाएं।
2. कलश पर पंचामृत और जल छिड़कें।
3. चंदन, हल्दी, मेहंदी, कुमकुम और कमल के फूल चढ़ाएं।
4. सौलह श्रंगार की सामग्री चढ़ाएं और तिल का भोग लगाएं।
5. धूप-दीप जलाएं, आरती करें और प्रसाद बांटे। नंदा पर्वत पर है प्रसिद्ध तीर्थ
हिमाचल का नंदा पर्वत माता सिद्धिदात्री का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुईं, ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।
देवी सिद्धिदात्री कमल के फूल पर विराजमान होती हैं, हालांकि इनका वाहन सिंह भी है। देवी सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा में गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है। देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि
1. देवी सिद्धिदात्री का ध्यान कर कलश पर अक्षत चढ़ाएं।
2. कलश पर पंचामृत और जल छिड़कें।
3. चंदन, हल्दी, मेहंदी, कुमकुम और कमल के फूल चढ़ाएं।
4. सौलह श्रंगार की सामग्री चढ़ाएं और तिल का भोग लगाएं।
5. धूप-दीप जलाएं, आरती करें और प्रसाद बांटे। नंदा पर्वत पर है प्रसिद्ध तीर्थ
हिमाचल का नंदा पर्वत माता सिद्धिदात्री का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। मान्यता है कि जिस प्रकार इस देवी की कृपा से भगवान शिव को आठ सिद्धियों की प्राप्ति हुईं, ठीक उसी तरह इनकी उपासना करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि और विवेक की प्राप्ति होती है।